Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

    What's Hot

    Raj Dharma: From the Vedic Period to Present

    February 23, 2023

    Why is suicide (fidayeen) a sin and an insult to God?

    February 23, 2023

    पृथ्वी ग्रह जीवित है जैसे वृक्ष

    February 2, 2023
    Facebook Twitter Instagram
    Trending
    • Raj Dharma: From the Vedic Period to Present
    • Why is suicide (fidayeen) a sin and an insult to God?
    • पृथ्वी ग्रह जीवित है जैसे वृक्ष
    • मोढेरा देश का पहला ऐसा गांव जहां 24 घंटे सोलर से जलेगी बिजली
    • माताभूमिपुत्रोहंपृथिव्या: Earth is my mother
    • सरला देवी का जीवन: महात्मा गांधी के साथ प्रेम प्रसंग
    • भारत को आजादी दिलाने में सुभाष बोस की अहम् भूमिका : ब्रिटिश पी एम
    • Do Heirs of the killer of Subhash Bose rule India?
    Login
    Sanskritik RashtravadSanskritik Rashtravad
    • Home
    • Articles
    • Sanskritik
    • Politics
    • General
    • Books
    • English
    Sanskritik RashtravadSanskritik Rashtravad
    Home»Politics»सिर्फ अहिंसा से आज़ादी दिलाने वालों को भी हुई थी फांसी और अंडमान जेल काला पानी की सजा!
    Politics

    सिर्फ अहिंसा से आज़ादी दिलाने वालों को भी हुई थी फांसी और अंडमान जेल काला पानी की सजा!

    Premendra AgrawalBy Premendra AgrawalJanuary 7, 2023Updated:February 6, 2023No Comments
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn WhatsApp Reddit Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    स्वातंत्र्य वीर सावरकर को फिल्माया बीबीसी के एक ब्रिटिश पत्रकार ने, सेलुलर जेल में। वीर सावरकर, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल आदि का अपमान करने वाले सभी लोग, भारत को स्वतंत्रता सिर्फ अहिंसा से मिली कहकर क्रांतिकारियों को कमजोर करने का इरादा रखते हैं।

    ॐ HINDUTVA

    Rare footage of BBC by a British journalist who filmed "Swatantrya Veer Savarkar." in Cellular Jail.

    All those insulting him are intending to insult the freedom movement of India and undermine the revolutionaries who led to Independent India. pic.twitter.com/wHcko9Hikh

    — Sameet Thakkar (@thakkar_sameet) November 20, 2022

    काला पानी की सजा के दौरान सेलुलर जेल में स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने जेल की दीवारों पर कील व कोयले से लिखी ६००० कवितायें , फिर कंठस्थ की।

    सेलुलर जेल में काला पानी की सजा भुगतने और भारत माता की जय का नारा लगा कर फांसी के फंदे को हंसते हुए चूमने वालों की लिस्ट प्रकाशित करे सरकार फिर चाहे वे अहिंसा से आज़ादी दिलाने वाले हों या या भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, आदि।

    स्वातंत्र्य वीर सावरकर इस दुनिया के एकमात्र ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनकी किताब ‘1857 का स्वतंत्रता समर’ प्रकाशित होने से पहले ही अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित कर दी गई थी। यह वह किताब है जिसके द्वारा वीर सावरकर ने यह सिद्ध किया था कि 1857 की क्रांति जिसे अंग्रेज महज एक सिपाही विद्रोह ग़दर मानते हैं, वह भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। वीर सावरकर वही क्रांतिवीर हैं जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने क्रांति के अपराध में काले पानी की सजा देकर 50 साल के लिए अंडमान की सेल्युलर जेल भेज दिया था। 10 साल बाद जब वीर सावरकर काला पानी की दिल दहला देने वाली यातनाएं सहकर जेल से बाहर आए, तभी से हमारे देश के कुछ बुद्धूजीवी और वंशवादी पार्टी नेता अपने और अपने पूर्वजों के देश विरोधी काले कारनामें जैसे नेहरू ने मांगी थी माफ़ी छिपाने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगने का आरोप वीर सावरकर पर लगा रहे हैं।

    जिस माफीनामे के बारे में बताया जाता रहा है, वह सिर्फ़ एक सामान्य सी याचिका थी, जिसे फ़ाइल करना राजनीतिक कैदियों के लिए एक सामान्य कानूनी विधान था। पारिख घोष जो कि महान क्रांतिकारी अरविंद घोष के भाई थे, सचिन्द्र नाथ सान्याल, जिन्होंने एचआरए का गठन किया था, इन सबने भी ऐसी ही याचिकाए दायर की थी और इनकी याचिकाए स्वीकार भी हुई थी।

    जॉर्ज पंचम की भारत यात्रा और प्रथम विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में राजनीतिक बंदियों को अपने बचाव के लिए ऐसी सुविधाएं दी गयी थीं। सावरकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ‘जब-जब सरकार ने सहूलियत दी, तब-तब मैंने याचिका दायर की’। स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने भी अपनी याचिका इसीलिए दायर की थी कि कहीं ऐसा न हो कि उनका जीवन जेल की सलाखों के पीछे ही फंसकर समाप्त हो जाए और भारतीय स्वतंत्रता का उनका महालक्ष्य अधूरा रह जाए।

    महात्मा गांधी ने भी 1920-21 में अपने पत्र ‘यंग इंडिया’ में वीर सावरकर के पक्ष में लेख लिखे थे। गांधी जी का भी विचार था कि सावरकर को चाहिए कि वे अपनी मुक्ति के लिए सरकार को याचिका भेजें।

    न्यायालय ने तो वीर सावरकर को कब का बाइज़्ज़त बरी कर दिया था लेकिन हमने आज तक उस देशभक्त भारत माता के महान सपूत को कटघरे में खड़ा कर रखा है। हमें दुःख होना चाहिए कि अपने ही राष्ट्र नायकों पर हमने प्रश्न चिन्ह उठाए। यह क्रम अभी भी जारी है। हमारी सेना ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की, लद्दाख से गलवान घाटी से न सिर्फ भगाया बल्कि १०० से अधिक चीनी सैनको को भी मार गिराया। उस भी प्रश्न चिन्ह ?

    सिर्फ अहिंसा से आज़ादी दिलाने वालों को भी हुई थी फांसी और अंडमान जेल काला पानी की सजा!

    भगत सिंह के गुरु थे करतारा। जेल में उनसे मिलाने उनके दादा गए तो उन्होंने कहा अरे करतारा तुम जिनके लिए फांसी पर चढ़ रहे हो वे तो तुमको गाली दे रहे हैं! दादा के कहने का तात्पर्य था की माफ़ी मांग कर जय से बाहर आ जाओ। करतारा ने पूछा क्या गॅरंटी है जेल से बाहर आकर कितने दिन मैं जीऊंगा, हो सकता है मुझे उसी समय सांप काट ले! दादा निरुत्तर हो गए!

    स्वातंत्र्य वीर सावरकर कहते थे, ‘माता भूमि पुत्रो अहम् पृथिव्याः।‘ ये भारत भूमि ही मेरी माता है और मैं इसका पुत्र हूं।
    नेहरू जी देश को एक जमीन का टुकड़ा मानते थे। उनके पद चिन्हों पर चलने वाली लॉबी आज भी भारत को भारत माता कहने में संकोच करती हैं।
    1963 film clip Andaman jail Azadi only by non-violence Cellular Makhanlal Chaturvedi Pushp Ki Abhilasha Veer Savarkar
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Telegram Email
    Premendra Agrawal
    • Website
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram

    ModiMay Vaidik Netritva About - प्रेमेन्द्र अग्रवाल ने पत्रकारिता, कानून और वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1956 में छात्र संघ के महासचिव चुने गए दुर्गा लॉ एंड कॉमर्स कॉलेज, रायपुर में। उनके कुछ लेख छात्र जीवन में धर्म युग, हिंदुस्तान हिंदी साप्ताहिक आदि में और बाद में अंग्रेजी साप्ताहिक 'ऑर्गनाइजर' में भी प्रकाशित हुए। उन्होंने स्टूडेंट्स हिंदी साप्ताहिक 'बढ़ते चलें' का दिल्ली और बाद में रायपुर से प्रकाशन किया। वर्त्तमान में वे रायपुर से 1964 से हिंदी दैनिक "लोक शक्ति" का प्रकाशन कर रहे हैं। अक्टूबर 2020 से वे 'लोकशक्ति' मासिक भी प्रकाशित कर रहे हैं। लॉ ग्रेजुएट बनने के बाद उन्होंने सेल्स टैक्स और इनकम टैक्स ऑफिस में टैक्सेशन एडवाइजर के तौर पर प्रैक्टिस की। इसके बाद उन्होंने एक्सपोर्ट बिजनेस अपनाया। उन्होंने 1972 में इटली को cotton rags और बाद में ब्रिटैन को Neem Oil तथा Neem पाउडर का भी export किया। वे समय समय पर RSS, ABVP, Jan Sangh और VHPमें विभिन्न जिम्मेदारियां संभालते रहे हैं। प्रेमेन्द्र अग्रवाल से उनकी अपनी वेबसाइट: www.lokshakti.in पर संपर्क किया जा सकता है: Email: lokshaktidaily@gmail.com Twitter: @lokshaktiindia Ku app: @lokshaktidaily Facebook: @lokshaktidaily Instagram: @lokshaktidaily

    Related Posts

    मोढेरा देश का पहला ऐसा गांव जहां 24 घंटे सोलर से जलेगी बिजली

    February 2, 2023

    माताभूमिपुत्रोहंपृथिव्या: Earth is my mother

    January 31, 2023

    भारत को आजादी दिलाने में सुभाष बोस की अहम् भूमिका : ब्रिटिश पी एम

    January 26, 2023

    Leave A Reply Cancel Reply

    Top Posts

    Return on Incremental Invested Capital MetricHQ

    February 5, 2020

    Twitch Bits Calculator To Usd And Eur

    March 30, 2022

    What is Satoshi Sats? When the Dollar is divided into 100

    May 19, 2022

    Latina Women Seeing Trips

    July 28, 2022
    Don't Miss
    Articles

    Raj Dharma: From the Vedic Period to Present

    By Premendra AgrawalFebruary 23, 2023

    16 August 2018: Whenever the Gujarat riots are mentioned, Atal Bihari Vajpayee’s ‘Rajdharma’ is definitely…

    Why is suicide (fidayeen) a sin and an insult to God?

    February 23, 2023

    पृथ्वी ग्रह जीवित है जैसे वृक्ष

    February 2, 2023

    मोढेरा देश का पहला ऐसा गांव जहां 24 घंटे सोलर से जलेगी बिजली

    February 2, 2023
    Stay In Touch
    • Facebook
    • Twitter
    • Pinterest
    • Instagram
    • YouTube
    • Vimeo

    Subscribe to Updates

    Get the latest creative news from SmartMag about art & design.

    © 2023 Sanskritik Rashtravad. All Rights Reserved

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Sign In or Register

    Welcome Back!

    Login to your account below.

    Lost password?